टीएन शेषन: जो 'खाते थे राजनीतिज्ञों को नाश्ते में!' रेहान फ़ज़ल बीबीसी संवाददाता 4 मिनट पहले इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें Messenger इस पोस्ट को शेयर करें Twitter इस पोस्ट को शेयर करें ईमेल साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट K. GOVINDAN KUTTY दिसंबर 1990 की एक ठंडी रात करीब एक बजे केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की सफ़ेद एम्बैसडर कार नई दिल्ली के पंडारा रोड के एक सरकारी घर के पोर्टिको में रुकी. ये घर उस समय योजना आयोग के सदस्य टीएन शेषन का था. स्वामी बहुत बेतकल्लुफ़ी से शेषन के घर में घुसे. वजह ये थी की साठ के दशक में स्वामी शेषन को हारवर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ा चुके थे. हाँलाकि वो शेषन से उम्र में छोटे थे. उस ज़माने में सुब्रमण्यम स्वामी को हारवर्ड में जब भी दक्षिण भारतीय खाने की तलब लगती थी, वो शेषन के फ़्लैट में पहुंच जाते थे और शेषन उनका स्वागत दही चावल और रसम के साथ किया करते थे. लेकिन उस दिन स्वामी शेषन के यहाँ इतनी देर रात न तो दही चावल खाने आए थे और न ही 'वट्टलकोड़ंबू.' nu